गाँधी जी के बलिदान दिवस पर नई दिल्ली स्थित भारतीय जनसंचार संस्थान के हिंदी विभाग की ओर से एक गोष्ठी का आयोजन किया गया।जिसमें मुख्य वक्ता के रुप में गांधी स्मारक निधि के सचिव रामचंद्र राही और गांधीवादी कार्यकर्ता देवदत मौजूद थे। आज का समय ,पत्रकारिता और गाँधी विषय पर बोलते हुए राही ने कहा की बापू ने समाज के अंतिम आदमी की बेहतरी को भारत के नवनिर्माण और विकास की कसौटी माना था। जबकि आज अखबारों से यह बात गायब हो चुकी है।मीड़िया जगत समाज के उपेक्षित वर्ग की बात नहीं करना चाहता वह केवल उन 20 फीसदी तबके की बात करता है जो की प्रभावशाली है।दोहरी जिंदगी जीने के सिलसिले को आज समाज में विकास की दौड़ का हिस्सा माना जाता है।उन्होनें कहा कि समस्याओं को जानना और उससे जूझने का ज़ज्बा पैदा करना ही एक पत्रकार की जिम्मेदारी है। इस मौके पर गाँधीवादी कार्यकर्ता देवदत ने समाज को समझने के लिए पक्की सड़क को पार कर पगडंड़ियों से आगे जाने की जरुरत पर जोर दिया।उन्होनें कहा कि खुद को समाज से अलग करके हम समाज को नहीं समझ सकते।सही विचारों को जनता के बीच लाना एक पत्रकार का काम है।गोष्ठी की शुरुआत से पहले विभाग के दो लेब जर्नल “दिल्ली मेल” और ””दिल्ली एक्सप्रेस‘‘ का विमोचन भी किया गया।संगोष्ठी का सचांलन विभागाध्यक्ष डॉ आनंद प्रधान ने किया।
बुधवार, 18 मार्च 2009
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