मेले का नाम सुनते ही आपके दिमाग में सबसे पहली चीज़ क्या आती है? झूले ,हस्तशिल्प ,लोकगीत ,लोकनृत्य,खाने पीने की तमाम चीजे़?सही भी है मेलों का मतलब ही यही होता है जहाँ यह सब चीजे़ एक साथ देखने को मिलती है।मेले में यही सब चीजे़ सबको अपनी ओर आकर्षित करती है।मगर मैं आन सभी को एक ऐसे मेले के बारे में बताने जा रही हूँ जहाँ यह सभी चीजे़ होगी मगर आकर्षण का केंद्र नहीं।जी हाँ, यह मेला है उŸारी बिहार में गंगा और गंडक नदी के किनारे लगने वाला सोनपुर मेला।यह मेला हर साल नंवबर महीने की पांच-छह तारीख से कार्तिक पूर्णिमा पर लगता है जो कि पूरे महीने चलता है। सोनपुर मेले की खासियत है यहां बिकने वाले पशु।सह न केवल बिहार का सबसे प्रसिद्ध और पुराना मेला है बल्कि एशिया का भी पुराना, प्रसिद्ध और सबसे बड़ा पशु मेला है। इस मेले के कई एतिहासिक पहलु भी है। माना जाता है कि चंद्रगुप्त मौर्य पाटलिपुत्र (पटना) से गंगा पार करके यहां हाथी और घोड़े खरीदने आता था। वहीं अंग्रेजी ‘ाासन के दौरान अफगानिस्तान और ब्रिटेन से अनकों व्यापारी इस मेले में आया करते थे। इस मेले की धार्मिक महत्ता भी है। यहां हरिहर नाथ मंदिर है। कहा जाता है कि लंका जाते समय भगवान राम ने इस मंदिर की स्थापना की थी। लोगों की मान्यता है कि कार्तिक पूर्णिमा के दिन यहां स्नान करने से 100 गांवो के दान का पुण्य लगता है। सोन पुर मेले के विशेषता यह है कि यहां छोटे से लेकर बड़े सभी प्रकार के पशु पक्षी बेचने के लिए रखे जाते है। सभी नस्लों के कुत्तों से लेकर ऊंट, भैंस, गधे, बंदर, पर्शियन, घोड़े, भेड़े, खरगोश, भालू, बिल्ली से लेकर और भी बहुत सी तरह के पशु आज यहां से खरीद सकते है। इसके अलावा यदि आपकी दिलचस्पी तरह तरह के रंग बिरंगे पक्षियों में है तो वह भी यहां उपलब्ध होते है। पूरे विश्व में यही एक ऐसी जगह है जहां पर एक बड़ी संख्या में हाथी बेचे जाते है। इन्हें मुख्यतः वन विभाग के लोगों द्वारा अधिक खरीदा जाता है। यह न केवल एशिया का बल्कि बहुत हद तक विश्व का भी सबसे बड़ा पशु मेला है यह तो हुई मेले में मुख्य आकर्षण की बात।
अब बात करते है मेले के कुछ दूसरी मेले के कुद दूसरी खासियतों के बारे में। यहां पर हस्तशिल्प, पेंटिंग्स और तरह तरह के मिट्टी के बने अनकों सामान भी मिलते है। घर मे रोजमर्या की जरुरतों में प्रयोग होने वाले सामानों के साथ ही ब्रांडेड कपड़े आदि भी यहां से खरीद सकते है। हाल ही के कुद सालों से सरकार अलग अलग कंपनियां अपने उत्पादो ंके प्रचार के लिए इस मेले में अपनी दुकानें लगानें लगे है। इतना ही नहीं मेले में लाए गए सभी पशुओं घासकर हााथयों के स्वास्थय के लिए कैंप भी लगाए जाते है। तो है न यह मेला अपने आप में बिल्कुल अलग, जहां पारंपरिक मेलों से हटकर कूछ और भी देखने को मिलता है। बस यही खारियत है इस मेले की जो कि इसे बाकि सभी मेलों से अलग करती है। जहां आकर्षण का मुख्य केंद्र कुछ और नहीं बल्कि तरह तरह के पशु पक्षी होते है।
बुधवार, 18 मार्च 2009
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